नकली चंद्रमा के बाद अब चीन से आई आर्टिफिशियल सूरज बनाने की तैयारी की खबर, न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर के जरिए हो रही कोशिश
बीजिंग. आर्टिफिशियल चंद्रमा बनाने की खबरें आने के बाद अब चीन से आर्टिफिशियल सूरज बनाने की तैयारी की खबरें भी आई हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये कोशिश चीन के हेफेई इंस्टीट्यूट ऑफ फिजिकल साइंसेस के साइंटिस्ट्स कर रहे हैं, जो धरती पर बिल्कुल सूरज की तरह ही ऊर्जा पैदा करने वाला एक सोर्स बनाना चाहते हैं। इसी के लिए वे ये काम कर रहे हैं। साइंटिस्ट्स के मुताबिक इस नकली सूरज के अंदर असली सूरज से भी ज्यादा गर्मी पैदा करने में वे सफलता पा चुके हैं।
पैदा कर ली सूरज से ज्यादा गर्मी
– चीन के साइंटिस्ट्स जिस आर्टिफिशियल सूरज को बनाने की कोशिशें कर रहे हैं, ये एक तरह का न्यूक्लियर फ्यूजन (संलयन) रिएक्टर है। जिसमें बिल्कुल सूर्य की तरह ही ऊर्जा पैदा होगी। इसमें ऊर्जा पैदा करने के लिए बिल्कुल वैसी ही प्रोसेस अपनाई जा रही है, जैसी कि असली सूर्य में प्राकृतिक रूप से होती है।
– हाल ही में इस प्रोजेक्ट से जुड़े साइंटिस्ट्स ने एक बड़ी सफलता मिलने का दावा किया। उनके मुताबिक असली सूर्य की सतह के तापमान से कहीं ज्यादा ऊर्जा उन्होंने अपने इस न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्टर में उत्पन्न कर ली है। यानी इसके अंदर असली सूरज से भी ज्यादा गर्मी होगी।
– साइंटिस्ट्स के दावे के मुताबिक आर्टिफिशियल सूर्य के अंदर उन्होंने 100 मिलियन (10 करोड़) डिग्री सेल्सियस तापमान तक की गर्मी पैदा कर ली है। जो कि असली सूर्य की सतह के 15 मिलियन (1.5 करोड़) डिग्री सेल्सियस तापमान से भी कहीं ज्यादा है।
प्रोजेक्ट का नाम है EAST
– चीन ने अपने जिस फ्यूजन न्यूक्लियर रिएक्टर में सूरज से भी ज्यादा गर्मी पैदा की है, उसकी ऊंचाई 11 मीटर, व्यास 8 मीटर और वजन करीब 360 टन है। इस प्रोजेक्ट का नाम EAST (एक्सपेरिमेंटल एडवांस्ड सुपरकंडक्टिंग तोकामाक) है। साइंटिस्ट्स इस फ्यूजन में जितनी गर्मी पैदा करने का दावा कर रहे हैं, वो असली सूर्य के मुकाबले करीब 6 गुना ज्यादा है।
– वर्तमान तकनीक के न्यूक्लियर रिएक्टर्स में दो नाभिकों को विखंडित करने के लिए जो प्रक्रिया अपनाई जाती है, उसके मुकाबले फ्यूजन रिएक्टर में बेहद अलग प्रक्रिया अपनाई जाती है। जिसकी वजह से फ्यूजन रिएक्टर कहीं ज्यादा ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। इस दौरान उनसे खतरनाक रेडियोएक्टिव अपशिष्ट भी नहीं निकलता। हालांकि परमाणु संविलियन की इस प्रक्रिया में बहुत ज्यादा प्रारंभिक तापमान की जरूरत भी पड़ती है।
– ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर मैथ्यू होल ने इस प्रोजेक्ट को लेकर कहा कि न्यूक्लियर फ्यूजन साइंस की तरक्की के लिए लिए चीन का ये कदम बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि चीन के परमाणु संलयन कार्यक्रम और पूरी दुनिया के विकास की दिशा में निश्चित रूप से ये बेहद महत्वपूर्ण कदम है।
– उनके मुताबिक इस प्रोजेक्ट में बिना रेडियोएक्टिव कचरा उत्पन्न किए और बिना ग्रीनहाउस गैसों उत्सर्जन किए, बड़े पैमाने पर ऊर्जा उत्पन्न होगी, जिससे दुनिया में ऊर्जा की कमी की समस्या को दूर किया जा सकेगा। प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों के मुताबिक ये आर्टिफिशियल सूरज साल 2025 तक काम करना शुरू कर देगा। बता दें कि इससे पहले चीन ने पिछले महीने साल 2020 में 'आर्टिफिशियल मून' लॉन्च करने की बात कहते हुए दुनिया को चौंका दिया था।
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Source: bhaskar international story