129 साल बाद 60 देशों ने बदला किलोग्राम, अब प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा
वॉशिंगटन. रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े शब्द किलोग्राम यानी किलो की परिभाषा बदल गई है। अब एक किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा। हालांकि इसका असर आम जीवन पर नहीं पड़ेगा। किलोग्राम को पहली बार 1795 में डिफाइन किया गया था। 1889 में इसे बदला गया। अब 20 मई 2019 से वैज्ञानिक किलोग्राम को मापने के नए तरीके का प्रयोग करेंगे। छात्रों को भी एग्जाम में यही परिभाषा लिखनी होगी।
गुरुत्व के हिसाब से बदलता है वजन
हम लोग ठोस चीजों को तौलने में रोजाना जिस शब्द किलोग्राम का प्रयोग करते हैं, वह असल में द्रव्यमान (mass) की इंटरनेशनल यूनिट है। द्रव्यमान यानी किसी वस्तु का का वास्तविक वजन। हम जिस वजन को तौलते हैं वह उस स्थान की ग्रेविटी पर निर्भर करता है। अलग-अलग जगह गुरुत्वाकर्षण भी अलग-अलग होता है, इसलिए किसी वस्तु का धरती और चंद्रमा पर वजन अलग-अलग होता है जबकि द्रव्यमान एक समान होता है।
1889 में एक किलोग्राम के लिए बना था खास बांट
1795 में 1 किलोग्राम को 4 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले 1 लीटर पानी के वजन के बराबर माना गया। 1889 से प्लेटिनम और इरीडियम मेटल को मिलाकर एक सिलेंडरनुमा बांट बनाया गया। इसे इंटरनेशनल प्रोटोटाइप ऑफ किलोग्राम (IPK) कहा गया। इस वजन को 16 नवम्बर 2018 तक 1 किलोग्राम के बराबर माना जाता रहा। यह प्रोटोटाइप 1879 में जॉनसन मैटहे ने डिजाइन किया था। इसके हूबहू आकार और वजन वाले 6 और सिलेंडर बनाए गए थे, जिन्हें फ्रांस के इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एंड मेजर्स में रखा गया है।
पर्यावरण का पड़ सकता था प्रभाव
अब तक किलोग्राम की परिभाषा जिन तरीकों से तय की गई थी, उन पर पर्यावरण का प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि प्लेटिनम एक ऐसी धातु है जिस पर ताप-दाब और नमी का असर सबसे कम होता है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने इसमें भी बदलाव देखा। इसके बाद यह मांग तेज हो गई कि किलोग्राम को मापने की ऐसी तरकीब खोजी जाए जिस पर किसी भौतिक चीजों का प्रभाव न पड़े। अब तक बेसिक यूनिट (किलोग्राम, मीटर, सेकंड, एम्पीयर, केल्विन) में किलोग्राम ही ऐसी यूनिट थी जो फिजिकल एलीमेंट पर आधारित थी।
एक कॉन्स्टेंट के आधार पर मापा जाएगा एक किलोग्राम
16 नवम्बर 2018 को फ्रांस के वर्साय में जनरल कॉन्फ्रेंस ऑन वेट्स एंड मेजर्स में 60 देशों के प्रतिनिधियों ने वोट के जरिए तय किया कि अब से किलोग्राम को प्लांक कॉन्स्टेन्ट के आधार पर मापा जाएगा। इसे मापने के लिए किब्बल तराजू का उपयोग होगा जो करंट से संचालित होता है। लिहाजा एम्पीयर (करंट की यूनिट), केल्विन (ठंडे तापमान की यूनिट) और मोल (पदार्थ की मात्रा की यूनिट) में भी बदलाव होंगे।इंटरनेशनल ब्यूरो ऑफ वेट्स एंड मेजर्स के डायरेक्टर मार्टिन मिल्टन का कहना है कि इस बेसिक यूनिट को दोबारा परिभाषित करना विज्ञान के लिए बड़ा क्षण है।
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Source: bhaskar international story