22 साल बाद भी चला रहे हैं अंतिम इच्छा के तौर पर खोली एंटीक सामान की दुकान
लाइफस्टाइल डेस्क. कैंसर से पीड़ित डेविड रोल्फ की आखिरी इच्छा थी कि वे एंटीक सामान का व्यापार शुरू करें। उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा के तौर पर एंटीक सामान की दुकान खोल ली और वे पिछले 22 सालों से अपनी इस दुकान को चला रहे हैं। हालांकि, वे कहते हैं कि उनकी जिंदगी उधार की है।
65 साल के रोल्फ को 1995 में पता चला की उन्हें हॉडकिन लिम्फोमा (कैंसर का एक प्रकार) है। यह पता लगते ही उन्होंने समरसेट के बाथ में रोल्फ की एंटीक शॉप खोलने के अपने सपने को पूरा करने की सोची।1997 में दुकान शुरू की।
दुकान का पता बदल जाएगा : रोल्फ को लगता था कि इस बीमारी की वजह से यह एक तरह से उनकी अंतिम इच्छा होगी। क्योंकि उनका अंत ज्यादा दूर नहीं है। लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। करीब दो दशक तक रेडियोथैरेपी और कीमोथैरेपी के बाद हाल ही में चिकित्सकों ने उन्हें बीमारी से मुक्त करार दिया है। उनकी दुकान अब भी चल रही है। हालांकि, लोगों की खरीदारी की आदतों में बदलाव और बढ़ती कीमतों की वजह से अब उनको अपनी दुकान कहीं और ले जानी पड़ेगी।
‘मेरे आखिरी दिन एक एंटीक शॉप में गुजरें’ : रोल्फ कहते हैं कि मेरी हमेशा से ही एंटीक और पुरानी चीजों में रुचि रही। मेरी इच्छा थी कि मेरे आखिरी दिन एक एंटीक शॉप में गुजरें। जब मुझे कैंसर हुआ तो मुझे लगा कि अब मेरे पास अधिक समय नहीं है। वह बताते हैं कि उनकी दादी का बर्मिंघम मार्केट में एक स्टॉल होता था। तभी से मुझे एंटीक चीजों से लगाव रहा है।यह एक ऐसा काम है जो हफ्ते में सातों दिन जारी रहता है। मैं किसी पब में बर्तन धोकर इससे ज्यादा कमा सकता हूं, लेकिन मैं इस काम से प्यार करता हूं।
अब हॉस्पिटल जाना बंद हो गया : रोल्फ कहते हैं कि समय के साथ मेरा हॉस्पिटल जाना पहले हर महीने से तीन महीने में बदला, फिर छह माह में एक बार और फिर साल में एक बार। हाल ही में उन्हें कहा गया कि अब अस्पताल आने की जरूरत नहीं है। लेकिन आप कभी नहीं जान सकते कि यह बीमारी पूरी तरह चली गई है। इतने सालों के बाद अब अस्पताल नहीं जाना पड़ेगा सोचकर ही अच्छा लगता है। उन्होंने कहा कि बढ़ते खर्च की वजह से उनको अपनी दुकान यहां से कही और ले जानी पड़ रही है पर उनकी रिटायर होने की कोई योजना नहीं थी। यह काम सबसे अच्छा है और मुझे बहुत पसंद है।यह मेरे लिए अंत नहीं है। मैं इसे आगे ले जाऊंगा। सच कहूं तो मैंने अपने लिए जितना समय सोचा था शायद मैं उससे 20 साल अधिक जी चुका हूं।
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Source: bhaskar international story